प्रार्थना
नित्यपठन:
वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ |
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||
या कुंदेंदु तुषार हार धवला,
या शुभ्र वस्त्रावृता
या वीणा वरदंड मंडीतकरा,
या श्वेत पद्मासना
|
या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभूतिभिर्देव्यै सदा वन्दीता
सा मां पातु सरस्वती भगवती,
नि:शेष ज्याडयापहा
||
गुरूर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:
|
गुरु साक्षातपरब्रम्ह तस्मै श्री
गुरुवे नमः ||
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम भर्गो देवस्य
धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव , त्वमेव
बंधुश्च सखा त्वमेव |
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्वं मम देव देवं ||
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ
साधिके |
शरण्ये त्र्यम्ब्यके गौरि, नारायणि
नमोस्तुते ||
वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनं |
देवकी पर्मानंदम कृष्णं वंदे जगतगुरु
||
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं
सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं
शुभांगम |
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्घ्यानगम्यं
वंदे विष्णु भवभय हरं सर्वलोकैकनाथं
||
कैलासराणा शिवचंद्रमौळी,
फणीन्द्रमाथा मुकुटी झळ ळ |
कारुण्यसिंधु भव दुःख हारि, तुज विण
शम्भो मज कोण तारी ||
सकाळी उठल्या बरोबर:
कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये
सरस्वती ।
करमूले तु गोविन्दम, प्रभाते करदर्शनम् ॥
करमूले तु गोविन्दम, प्रभाते करदर्शनम् ॥
समुद्र-वसने देवि, पर्वत-स्तन-मंडले
।
विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं, पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे ॥
विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं, पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे ॥
आंघोल करताना:
गंगेच यमुने चैव गोदावरी सरस्वती |
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन
सन्निधि कुरु ||
जेवणापुर्वी:
वदनी कवळ घेता नाम
घ्या
श्रीहरीचे| सहज हवन होते नाम घेता फुकाचे ||
जीवन करी जिवित्वा अन्न हे पूर्ण ब्रह्म | उदरभरण नोहे जाणिजे यज्ञकर्म ||
जीवन करी जिवित्वा अन्न हे पूर्ण ब्रह्म | उदरभरण नोहे जाणिजे यज्ञकर्म ||
सायंकालिन:
शुभं करोति कल्याणं, आरोग्यं धन सम्पदा
शत्रुबुध्हि विनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते
झोपणयापूर्वी:
ईश्वर रक्षा करो हमारी, हम सब हैं प्रभु शरण
तुम्हारी
दिन भर के अपराध हमारे, क्षमा करो करुणानिधि सारे